Monday, October 18, 2010

जगदीश कश्यप की लघुकथाएं: देहरी भई बिदेस

जगदीश कश्यप की लघुकथाएं: देहरी भई बिदेस: "चांदनी रात में ठंडी रेत पर देशी खेलों में भाग ले रहे विदेशी कितने भले लग रहे थे. जैसलमेर के विशाल रेगिस्तान में स्वर्गिक आनंद वह क्यों नहीं..."

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