Tuesday, October 19, 2010

सहधर्मी

उसने मेरी ओर कृतज्ञता की दृष्टि से देखा, ‘साब, अगर आप न बचाते तो ये भीड़ मुझे पिलपिला बना देती. आप सोचिए, मैं बाल-बच्चों वाला आदमी भला जेब कैसे काट सकता हूं!’
उसने होंठ पर लगे खून को उंगली से पोंछते हुए कहा‘आप मेरे साथ एक कप चाय नहीं पियेंगे?’
मैं उसके अनुरोध को टाल न सका.
चाय के दौरान उसने बताया कि उसकी पत्नी असफलता अत्यंत पतिव्रता है. उसकी तीनों लड़कियां-कुंठा, निराशा, भग्नाशा जवान हो गई हैं और दुर्भाग्य नामक लड़का ग्रेजुएट होने पर भी बेरोजगार है.
मुझे आश्चर्य हुआ कि वह हू--हू मेरी ही कहानी सुना रहा था.

प्रस्तुति : विनायक
कदम-कदम पर हादसे’ से

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