Sunday, January 9, 2011

सीढ़ी से उतरते हुए

 ‘मुझे तुमपर दया आती है! आठ सौ रुपल्ली की खातिर तुम लोगों के दिन-भर पैर पकड़ते हो और उन्हें जूते-चप्पल पहनाते हो. अब तो तुम्हारा लेखन भी छूट गया है. लानत है तुम पर!’
दोस्त की लंबी झाड़ वह काफी देर से सुन रहा था. पर चुप रहा. उसने बची मूंगफली निकालकर दोस्त को थमा दीं और लिफाफे को एक ओर उछाल दिया. अब बाग में ऊंच-ऊंचे पेड़ों को देख वह बेंच पर पसर-सा गया. एकाएक उसमें फुरफरी-सी चढ़ी.
चलो चलते हैं, ठंडी ओस गिरने लगी है.’
दोनों बाग के बाहर चाय की दुकान पर आकर रुक गए. पहले उंगली के इशारे से दो चाय का आर्डर दुकानवाले को दिया. और बोला‘वो तूने एक्जीक्यूटिव पोस्ट के लिए एप्लाई किया था, क्या हुआ?’
उसका तो कल इंटरव्य है. ढंग के कपड़े नहीं, जूते नहीं. दरबान भी घुसने नहीं देगा. उस एयर कंडीशंड शीशे वाले दरवाजे में.’
तू फिक्र मत कर यार, मैं तुझे अपनी दुकान से रेडीमेड पेंट और शर्ट दिलवा दूंगा. जूते भी. पैसे कटते रहेंगे मेरे हिसाब से. तू ढंग से इंटरव्यू देकर आ.’
चाय पीते-पीते शायद मुकेश के दिमाग में कुछ आया. वह धीरे से बोला-‘दोस्त कुछ नहीं होगा. वहां पहले ही उन्होंने अपना आदमी फिट कर लिया होगा. किराया भी बेकार चला जाएगा आने-जाने का. तू मुझे बता रहा था-‘तेरे शोरूम में एक आदमी की जरूरत है. क्या मुझे नहीं खपा सकता अपने यहां....’
राजू यह सुनते ही चौंक गया. उसे लगा मुकेश उसका मजाक उड़ा रहा है. पर उसकी नम हो आई आंखें देख, वह बोला‘हिम्मत मत हार, तुझे इंटरव्यू देना होगा. मैं तुझे....’ और राजू का गला भर आया.
प्रस्तुति: जगदीश कश्यप
कदम-कदम पर हादसे से’

Sunday, January 2, 2011

औकात

जज द्वारा दिए फैसले पर जब दोनों पक्षों के वकीलों ने हस्ताक्षर कर दिए तो जीतने वाले पक्ष के लोग कमल की माफिक खिल उठे.
हारने वाले पक्ष के वकील ने कहा-‘मुझे दुख है रामजीलाल मैं तुम्हारा केस बचा न सका.’ और वह तेजी से अपने बस्ते की ओर चला गया.
रामजीलाल के चेहरे पर विषाद और बरबादी के एवज में वकील के प्रति क्रूर भाव उभर आए थे. इतने महंगे और प्रसिद्ध वकील ने अंतिम दम पर कैसी बोगस बहस की थी. घर खाली कराने के आदेश पर वह कम से कम एक माह की मोहलत तो ले ही सकता था.
यार मुझे रामजीलाल के हार जाने का बड़ा दुख है. अगर तुम्हारा दबाव नहीं होता तो नत्थू उसे कभी भी घर खाली नहीं करवा सकता था.’ यह बात रामजीलाल के वकील ने जीतने वाली पार्टी के वकील से कही.
वो तो ठीक है मिस्टर खुराना, पर इस बात के लिए आपको पूरा पांच हजार कैश भी तो मिला है. आखिर तुम इतने दुखी क्यों हो? न जाने कितने गरीब रामजीलालों को तुम इसी तरह हरवा चुके हो.’
इस पर मिस्टर खुराना ने ताजे खाए पान की ढेर सारी पीक को लापरवाही से एक ओर थूक दिया. जिस कारण अनेक बेकसूर चीटियां उस तंबाकू की पीक में जिंदा रहने की कोशिश करती हुई बिलबिलाने लगीं.
प्रस्तुति: जगदीश कश्यप
कदम-कदम पर हादसे से’

Saturday, January 1, 2011

योग्य प्रत्याशी

यह जानते हुए भी कि टाइपिस्ट जैसी पोस्ट तुरंत भर ली जाती है,, और इंटरव्यू मात्र खाना-पूर्ति होती है, मैं उस महाविद्यालय में साक्षात्कार देने गया, जो एक पिछड़ी तहसील में स्थित था. मुझे मालूम था कि एक पोस्ट के लिए सौ-पचास व्यक्तियों का आ जाना मामूली बात है. पर मैंने भाग्य आजमाने का फेसला इसी कारण किया था कि हिंदी-अंगे्रजी के टाइपिस्ट को वरीयता दी जाएगी. मेरी स्पीड दोनों ही भाषाओं में संतोषजनक थी और मैंने एंपलायमेंट एक्सचेंज की परीक्षा भी पास कर ली थी. पर काॅल कहीं से भी आया था. अगर मेरे पिता क्लर्कों को, औरों की तरह रुपये खिला देते तो मेरा नाम भी वरीयता क्रम पर होता.मेरे कई दोस्त एक ही भाषा की टाइप जानते हुए भी नौकरी पर लग चुके थे. मेरी मां पड़ोसन के आगे रोती थी कि मैं एमए हूं पर भगवान ने कहानी-कविता का गुर देकर मुझे पागल कर दिया है. तिस पर लड़की का चक्कर.

मुझे यह जानकर संतोष हुआ कि दोनों टंकण परिक्षाओं में मेरी गति सभी प्रत्याशियों से अधिक थी. इंटरव्यू बोर्ड मेरे साक्षात्कार से संतुष्ट था. क्या निर्णय लिया जाए इसपर मैंनेजर और प्रंसिपल आदि ने आंखों की भाषा में बातचीत की. मौंन भंग किया प्रंसिपल न ही-‘हमें तुम जैसे केंडिडेेटों की बहुत जरूरत है. लेकिन मैं तुम्हें अंधेरे में नहीं रखना चाहता.’
कैसा अंधेरा सर?’ मैंने सूखे होठों पर अपनी जीभ फिरानी शुरू की.
अभी तुमने देखा, हमने पचीस लोगों को आश्वासन देकर भगा दिया है. दरअसल हमें शिड्यूल्ड कास्ट केंडिडेट की जरूरत है. सरकारी आदेश के अनुसार हम ऐसा करने को मजबूर हैं.’
पर सर, आपने विज्ञापन में साफ लिखा है कि योग्य प्रत्याशी का चयन किया जाएगा.’
इस पर चुप्पी छा गई. लेकिन विद्वान लोग मुझ जैसे बेरोजगार से हार मानने के लिए पैदा नहीं हुए थे. अबकी बार शायद मैंनेजर बोला-‘डोंट वरी, हम इसी पोस्ट के लिए विज्ञापन निकालेंगे, तब तुम्हें जरूर कंसीडर किया जाएगा. हमें तुम जैसे होनहार लोगों की जरूरत है.’
जब एकाउंटेंट के भाई को रख लिया है, तब मेरी क्या जरूरत है?’ मैंने चपरासी द्वारा बताई गई बात को अत्यंत घृणापूर्वक उगल दिया.
मेरी इस बात पर पूरा इंटरव्यू बोर्ड चौंक गया. इससे पहले वे पूछें यह बात मुझे कैसे पता चली, मैं झटके से कमरे का दरवाजा धकेलकर बाहर निकल आया.
प्रस्तुति: जगदीश कश्यप
कदम-कदम पर हादसे से’