Wednesday, September 15, 2010

विकल्प का दंश

उस दिन बात जरा-सी थी. उसने बड़ी बहन के अधिकार का उपयोग करते हुए कहा था—
सुषमा, तुम आजकल पढ़ाई से जी चुराने लगी हो. कोर्स की किताब में नावल! पापा से कह दूं तो?’
इसपर सुषमा कुछ नहीं बोली. शायद वह फील कर रही थी. अतः दीदी ने कुछ नरमाई से कहा—‘सुषमा, देख दुनिया कितनी खराब है. मेरा संबंध न जाने किस-किस से जोड़ा, पर मैंने परवाह नहीं की. मुझे ही देख ले, चार साल से बच्चों को पढ़ा रही हूं. आखिर किसलिए, ताकि घर की इज्जत बची रहे. क्या शादी करना मेरे लिए बड़ी बात थी!’
दरअसल दीदी चाहती थी कि सुषमा अपने क्लास फैलो से मिलना-जुलना बंद कर दे, जो उससे चार वर्ष बड़ा है. दीदी चाहती तो लव मैरिज कर सकती थी, पर न जाने कौन-सी घर की मर्यादा बचाना चाहती है. दीदी ने जिसे अपने मन का देवता बनाया था, उस सुनील ने भी शादी कर दी; और अब वह एक बच्चे का पिता है. अब दीदी से कौन प्रेम करेगा. शरीर थुल हो गया है. लंबे-लंबे बालों में सफेदी बढ़ रही है. दीदी का तर्क है कि घर की माली हालत सुधरने तक वह शादी नहीं करेगी.
सुषमा दर्पण के सामने खड़ी बाल संवार रही थी. पीछे से दीदी की आवाज आई, ‘कहां जाने की तैयारी है, सुषमा ला मैं बाल ठीक कर दूं.’ इसपर छोटी बहन कुछ न बोली.
सच बता सुषमा, तुझे वह लड़का पसंद है?’ दीदी ने उसके घने बालों में कंघी फिराते हुए पूछा. सुषमा ने मंद मुस्कान से दीदी की ओर देखा और आंखें मूंद लीं.
पर तेरे से तो वह चार-पांच साल बड़ा है.’
बड़ा है तो क्या हुआ, मुझे पसंद है. वह सर्विस भी तो कर रहा है. सच दीदी, क्या बताऊं—क्वश्चन ऐसे पुट-अप करता कि प्रोफेसर भी निरुत्तर हो जाते हैं.’ दीदी ने चोटी गूंथ दी थी.
क्रीम का गुलाबी शेड लेकर उसने आरसी में अपने चेहरे को निहारा और एक हल्की-सी बिंदी माथे पर लगा ली.
एक बात कहूं सुषमा, बुरा तो नहीं मानेगी.’
दीदी, तुम कहो तो, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करने को तैयार हूं.’ इसपर दीदी चुप रही तो उसने सूट के शेड वाली चुन्नी को लापरवाही से कंधों के दोनों ओर लहरा दिया. दीदी ने देखा, जैसे कोई गुलाबी परी उसके सामने खड़ी हो.
हां तो दीदी, तुम कुछ कह रही थीं, कहो न, देखो मुझे देर हो रही है.’ उसने लापरवाही वाले अंदाज में रिस्टवाच को देखा.
सुषमा दीदी भर्राई-सी आवाज में बोलीं और चुप हो गई.
क्या बात है दीदी, आज तुम परेशान हो. आज तक सारा दुख तुमने अकेले ही ओढ़ा है. कुछ तो मेरे लिए भी छोड़ो...दीदी प्लीज!’
बहन!’ दीदी ने चोर निगाहों से इधर-उधर देखा फिर धीरे-से कहा, ‘क्या तू उसको मेरे लिए तैयार नहीं कर सकती?’
यह सुनते ही सुषमा ने बुरी तरह चौंककर दीदी की ओर देखा, उसकी आंखों में आंसू छलछला रहे थे.

प्रस्तुति: विनायक
जगदीश कश्यप की फाइल से

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