Tuesday, September 21, 2010

चींटी की चेतावनी

जगदीश कश्यप की लुप्तप्राय लघुकथा

अहमद मियां जिस तरह खर्राटे निकाल रहे थे, उससे स्पष्ट था कि वह घोड़े बेचकर सोये थे. एकाएक वह चौंक पड़े और हड़बड़ाकर उठ गए. मिचमिची आंखें पूर्णतः खोलकर इधर-उधर देखा तो पाया कि दो चींटियां उनके शरीर पर पूरी स्पीड से भागी चली जा रही थीं.
ये साली भागकर कहां जाएंगी!’ और उन्होंने अपना हाथ बढ़ाकर उंगली से चींटी को मसल दिया.
दूसरी चींटी भागते-भागते चिल्लाई‘अहमद मियां, एक दिन जब तुम कब्र में आओगे तो तुम्हरा पूरा जिस्म खा जाऊंगी.’

प्रस्तुति: विनायक
जनसंसार, 1 जुलाई 1973 

No comments:

Post a Comment