Friday, November 26, 2010

अजेय सौंदर्य

एक दिन अस्पताल में पीलिया और तपेदिक की बीमारियां अचानक टकरा गईं और एक-दूसरे का हाल जानने लगीं. तपेदिक की बीमारी ने मायूसी से कहा—‘देखो न बहन, मैं कितनी कमजोर हो गई हूं. ये डाक्टर मेरे दुश्मन जो ठहरे! में पिछले साल से एक आदमी के साथ थी, जिसे अंततः स्वस्थ बना ही दिया. मुई इन नई दवाइयों और इंजेक्शनों का नाश हो.’
पीलिया भी परेशानी वाली हालत में बोली—‘बहन, छह महीने पहले मुझे एक बुड्ढा भा गया था-बेचारा मेरे कारण बीमार पड़ गया. गलती मात्र इतनी हो गई कि बुड्ढा अमीर था. तभी तो उसने महंगे से महंगा इलाज करा लिया. पर बहन, तुम मेरी शक्ति नहीं जानतीं. इस बार मैं एक निहायत ही कोमल कली-सी युवती को पकड़ूंगी, जिसने अपने घमंड की वजह से कई छात्रों के लिए जख्मी किए हैं. मैं उसे मारूंगी नहीं पर जब उसे छोड़ूंगी, उस वक्त तक वह पेड़ के सूखे पत्ते की तरह पीली हो चुकी होगी, कोई उसकी तरफ देखना पसंद नहीं करेगा.’
पर एक व्यक्ति तो उस लड़की से तब भी शादी करने का इसरार करेगा.’
ऐसा पागल कौन हो सकता है?’
एक कवि.’ तपेदिक ने उसकी शंका मिटाते हुए कहा, ‘यह व्यक्ति वही है, जिसे उस सुंदर लड़की ने धोखा दिया था. उसकी याद में वह शराब और सिगरेट का सहारा ले रहा है. इसी कारण मुझे उसके यहां आश्रय लेना पड़ रहा है.’
तुम यहां गलती पर हो बहन.’ पीलिया ने उसे समझाया—‘दरअसल वह लड़की जिस वक्त ठीक होगी, उसे पता चलेगा कि उसका प्रेमी तुम्हारे द्वारा पीड़ित है. तब वह लड़की उसकी तीमारदारी में जुट जाएगी और तुम्हें अंततः उसके पास से भागना ही पड़ेगा.’
पर बहन, हमारी लड़ाई तो सुंदरता से है जो अपनी ही ऐंठ में बागों-बहारों में इठलाती फिरती है. नहीं तो उस कवि से दो-तीन खून की उल्टियां कराकर मार डालना कोई मुश्किल काम है?’
हां बहन, तुम ठीक कहती हो. मुझे भी सुंदरता से सख्त नफरत है. नहीं तो उस युवती से आत्महत्या आसानी से करा सकती हूं.’
सुंदरता, जो उन दोनों का वार्तालाप चुपचाप सुन रही थी, उनके बीच प्रकट हुई और बोली—‘बहनो, बदसूरत और कमजोर हो जाने पर भी वे एक-दूसरे से शादी कर लेंगे. क्या यह इस बात का सबूत नहीं कि मैं मात्र उन उन सुंदर शरीरों में वास नहीं करती हूं, जिनके दिल घमंड से भरे हुए हैं, अपितु मेरा वास उन स्वच्छ हृदयों में भी है, जो शक्ल से अत्यंत कुरूप हैं.’
यह सब सुनते ही दोनों बीमारियों ने मुंह बिचकाया और सुंदरता को देख लेने के अंदाज में घूरते हुए खिसक गईं.
प्रस्तुति: विनायक
कदम-कदम पर हादसे’ से

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