टीवी एंटीना पर बैठी एक चिड़िया दूसरी चिड़िया से बोली—
‘आज का आदमी बड़ा दयालु हो गया है. वह जानता है कि हम दिन भर उड़ती-फिरती थक जाती होंगी, इसलिए उसने हम लोगों के आराम करने के लिए छतों पर स्टेंड लगवा दिए हैं.’
‘तू बड़ी भोली है बहन,’ दूसरी चिड़िया ने कहा—‘ये हमारे बैठने का स्टेंड नहीं है. ये तो आदमी को मजबूरी में लगाना पड़ा है. इसकी सहायता से आदमी अपने टेलीविजन सैट पर फोटो आदि देखता है, जैसे लोग सिनेमा में देखते हैं.’
‘तू यह सब कैसे जानती है, बहन? मुझे तेरी बात पर यकीन नहीं आता.’
‘अच्छा चल, मैं तुझे एक करिश्मा दिखाऊं. मैं तुझे एक कोठी में ले चलती हूं.’
दोनों चिड़िया रोशनदान के रास्ते से कोठी के उस कमरे में पहुंची जहां वीडियो कैसेट चल रहा था. विशिष्ट लोग ऐसा दृश्य देख रहे थे, जिसमें एक लड़की से बलात्कार किया जा रहा था.
दोनों चिड़िया की टीबी...टुट-टुट और फड़फड़ाहट से विशिष्ट लोगों के आनंद में बाधा पड़ रही थी. उनमें एक, शायद वह मिल-मालिक का लड़का था, बोला—‘इन हरामजादियों को यहां से भगाओ!’
इसपर एक कालिजिएट लड़की उठी. उसने अपने गले के दुपट्टे से उन दोनों चिड़िया को भगाना चाहा. दोनों चिड़िया घबराकर बाहर निकल आईं.
पहली चिड़िया दूसरी से बोली—‘तू ठीक कहती है, बहन, आज का आदमी दयालु नहीं, बड़ा दुष्ट हो गया है.’
प्रस्तुति: विनायक
‘कदम-कदम पर हादसे’ से
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