Wednesday, October 27, 2010

सुखी आदमी

मैं अपनी गंदी सड़ियल कोठरी में घुसा ही था कि दो पुरुषों के बीच दो युवतियों को बैठे देखा. इन्हें मैंने पहले कभी नहीं देखा था, अलबत्ता इनका पहनावा ऐसा ही था, जैसा भिखारियों का होता है और हम जिन्हें अमूमन भीख देने के नाम पर दुत्कार देते हैं. टूटे हुए स्टूल पर मेरे बैठते ही युवती बोली
मैं स्पष्टवादिता हूं, तुम अपने अखबार में जिस तरह मेरा उपयोग करते हो, उसी का परिणाम है कि लोग तुमसे चिढ़ गए हैं और तुम्हें विज्ञापन मिलने बंद हो गए हैं.’
तुरंत बाद ही एक पुरुष बोला‘मेरा नाम सीधापन है. मैं तुम्हारे साथ हूं. इसलिए लोग तुम्हें बेबकूप समझते हैं और तुम्हारा शोषण हो रहा है.’
दूसरी युवती ने कहा‘मैं ईमानदारी हूं. जब तक मैं तुम्हारे साथ रहूंगी, तब तक तुम्हें सच्ची खबर छापने के एवज में कोई सरकारी अधिकारी घास तक न डालेगा, जबकि दूसरे लोग झूठी खबर छापते हुए इन अधिकारियों को ब्लैकमेल कर मालामाल हुए जा रहे हैं.’
मैं परिश्रम हूं.’ अंतिम अतिथि ने परिचय देते हुए कहा‘रात दिन अथक भागदौड़ के बावजूद तुम्हें दो जून का खाना भी ढंग से नसीब नहीं होता, इसलिए हम सबने सोचा है कि तुम्हारी हालत पर रहम किया जाए, ताकि तुम पर नाकारा, अयोग्य और सनकी जैसे आरोप न लग सकें.’
एक क्षण को तो मैं उनकी बात पर स्तब्ध रह गया. मैं तुरंत संभल गया और धीरे-से बोला‘तुम सबके कारण ही मेरी शहर में इतनी इज्जत है. मैं कथा-कविताएं लिख-लिखकर अपने बाल-बच्चों का पेट पाल रहा हूं. आप मुझे छोड़कर चले जाएंगे, जब मैं एक दिन भी जीवित नहीं रह सकता.’
मेरे निकलते आंसू देखकर चारों कुछ सोचने लगे. इसके बाद परिश्रम ने कहा
हम तुम्हारे साथ रहने को तैयार हैं. बशर्ते तुम अखबार निकालना बंद कर दो. इस तरह प्रेस वाला तुम्हें बार-बार अपमानित नहीं करेगा. क्योंकि वह जानता है कि तुम समय पर कागज और प्रिंटिंग चार्ज नहीं चुका पाते हो. तुम जमकर कथा/कविता लिखो, फिर देखो हम तुम्हारा कैसा नाम चमकाते हैं.’
दोस्तो!’ मैंने तुरंत कहा‘ना तो मैं अखबार बंद करूंगा और न ही कथा-कविता लिखना छोड़ रहा हूं. तुम्हें मेरे कारण कष्ट हो तो मुझे छोड़कर जा सकते हो.’
हम तुम्हारी दृढ़ता पर अत्यंत मुग्ध हैं. अब तुम्हारे घर में स्थायी रूप से निवास करेंगे. और मरते दम तक तुम्हारा साथ नहीं छोड़ेंगे.’
तभी हर व्यक्ति धुआं बनने लगा. कोई मेरे मुंह, कोई नाक, कोई आंख व कान के रास्ते मुझमें समा गया. मुझे लगा कि मुझमें अतिरिक्त शक्ति पैदा होने लगी है....और मैं संसार का सबसे सुखी आदमी हूं.’
प्रस्तुति : विनायक
कदम-कदम पर हादसे’ से

2 comments:

  1. samman ke sath achha karne kee keemat to insaan ko chukaanee hee padatee hai.. kaahanee bahut sundar hai

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