Sunday, January 2, 2011

औकात

जज द्वारा दिए फैसले पर जब दोनों पक्षों के वकीलों ने हस्ताक्षर कर दिए तो जीतने वाले पक्ष के लोग कमल की माफिक खिल उठे.
हारने वाले पक्ष के वकील ने कहा-‘मुझे दुख है रामजीलाल मैं तुम्हारा केस बचा न सका.’ और वह तेजी से अपने बस्ते की ओर चला गया.
रामजीलाल के चेहरे पर विषाद और बरबादी के एवज में वकील के प्रति क्रूर भाव उभर आए थे. इतने महंगे और प्रसिद्ध वकील ने अंतिम दम पर कैसी बोगस बहस की थी. घर खाली कराने के आदेश पर वह कम से कम एक माह की मोहलत तो ले ही सकता था.
यार मुझे रामजीलाल के हार जाने का बड़ा दुख है. अगर तुम्हारा दबाव नहीं होता तो नत्थू उसे कभी भी घर खाली नहीं करवा सकता था.’ यह बात रामजीलाल के वकील ने जीतने वाली पार्टी के वकील से कही.
वो तो ठीक है मिस्टर खुराना, पर इस बात के लिए आपको पूरा पांच हजार कैश भी तो मिला है. आखिर तुम इतने दुखी क्यों हो? न जाने कितने गरीब रामजीलालों को तुम इसी तरह हरवा चुके हो.’
इस पर मिस्टर खुराना ने ताजे खाए पान की ढेर सारी पीक को लापरवाही से एक ओर थूक दिया. जिस कारण अनेक बेकसूर चीटियां उस तंबाकू की पीक में जिंदा रहने की कोशिश करती हुई बिलबिलाने लगीं.
प्रस्तुति: जगदीश कश्यप
कदम-कदम पर हादसे से’

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