Saturday, January 1, 2011

योग्य प्रत्याशी

यह जानते हुए भी कि टाइपिस्ट जैसी पोस्ट तुरंत भर ली जाती है,, और इंटरव्यू मात्र खाना-पूर्ति होती है, मैं उस महाविद्यालय में साक्षात्कार देने गया, जो एक पिछड़ी तहसील में स्थित था. मुझे मालूम था कि एक पोस्ट के लिए सौ-पचास व्यक्तियों का आ जाना मामूली बात है. पर मैंने भाग्य आजमाने का फेसला इसी कारण किया था कि हिंदी-अंगे्रजी के टाइपिस्ट को वरीयता दी जाएगी. मेरी स्पीड दोनों ही भाषाओं में संतोषजनक थी और मैंने एंपलायमेंट एक्सचेंज की परीक्षा भी पास कर ली थी. पर काॅल कहीं से भी आया था. अगर मेरे पिता क्लर्कों को, औरों की तरह रुपये खिला देते तो मेरा नाम भी वरीयता क्रम पर होता.मेरे कई दोस्त एक ही भाषा की टाइप जानते हुए भी नौकरी पर लग चुके थे. मेरी मां पड़ोसन के आगे रोती थी कि मैं एमए हूं पर भगवान ने कहानी-कविता का गुर देकर मुझे पागल कर दिया है. तिस पर लड़की का चक्कर.

मुझे यह जानकर संतोष हुआ कि दोनों टंकण परिक्षाओं में मेरी गति सभी प्रत्याशियों से अधिक थी. इंटरव्यू बोर्ड मेरे साक्षात्कार से संतुष्ट था. क्या निर्णय लिया जाए इसपर मैंनेजर और प्रंसिपल आदि ने आंखों की भाषा में बातचीत की. मौंन भंग किया प्रंसिपल न ही-‘हमें तुम जैसे केंडिडेेटों की बहुत जरूरत है. लेकिन मैं तुम्हें अंधेरे में नहीं रखना चाहता.’
कैसा अंधेरा सर?’ मैंने सूखे होठों पर अपनी जीभ फिरानी शुरू की.
अभी तुमने देखा, हमने पचीस लोगों को आश्वासन देकर भगा दिया है. दरअसल हमें शिड्यूल्ड कास्ट केंडिडेट की जरूरत है. सरकारी आदेश के अनुसार हम ऐसा करने को मजबूर हैं.’
पर सर, आपने विज्ञापन में साफ लिखा है कि योग्य प्रत्याशी का चयन किया जाएगा.’
इस पर चुप्पी छा गई. लेकिन विद्वान लोग मुझ जैसे बेरोजगार से हार मानने के लिए पैदा नहीं हुए थे. अबकी बार शायद मैंनेजर बोला-‘डोंट वरी, हम इसी पोस्ट के लिए विज्ञापन निकालेंगे, तब तुम्हें जरूर कंसीडर किया जाएगा. हमें तुम जैसे होनहार लोगों की जरूरत है.’
जब एकाउंटेंट के भाई को रख लिया है, तब मेरी क्या जरूरत है?’ मैंने चपरासी द्वारा बताई गई बात को अत्यंत घृणापूर्वक उगल दिया.
मेरी इस बात पर पूरा इंटरव्यू बोर्ड चौंक गया. इससे पहले वे पूछें यह बात मुझे कैसे पता चली, मैं झटके से कमरे का दरवाजा धकेलकर बाहर निकल आया.
प्रस्तुति: जगदीश कश्यप
कदम-कदम पर हादसे से’

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