Friday, December 31, 2010

कहानी का प्लाट

इससे पहले वह किसी पुलिस चैकी या थाने में नहीं गया था. यद्यपि अपनी कहानियों में उसने पुलिस स्टेशन के खाके खींचे थे. चाहता तो वह उन गुंडों से निपट सकता था पर उसके शरीर ने ऐसा करने की इजाजत नहीं दी थी. दूसरी तरह की घटना या दुर्घटना हुई होती हो वह दोस्त या परिचित के साथ रिपोर्ट लिखवाने आता, लेकिन यह मामला विशुद्ध उसका ही था.
अभी रात नहीं हुई थी. पर सर्दियों में शाम भी रात का एक अंग लगती है. मुंशी जी अपना रोजनामचा भरने में व्यस्त थे. वह कुछ देर सोचता रहा. किसी ने भी उसका नोटिस नहीं लिया. जबकि इंस्पेक्टर तीन आदमी और कांस्टेबिल किसी केस में उलझे हुए थे. इंस्पेक्टर नीचे बैठे हुए आदमी को बीच में गाली और कभी-कभी उसकी पीठ भी थपथपा देता था.
कहो जनाब, क्या बात है?’ मुंशीजी ने नाक का चश्मा ऊपर करते हुए अपनी तिकोनी टोपी को संभाला.
जी, मैं रिपोर्ट लिखवाने आया हूं.’
किसकी रिपोर्ट?’
कुछ गुंडे एक लड़की को जबरदस्ती उठा ले गए हैं.’
कौन लड़की, तुम्हारी क्या लगती है?’
इसपर वह भौंचक्का हो, मुंशीजी की तरफ देखने लगा.
अबे, वो क्या तेरी बहन है?’
नहीं...वो...’वह कुछ सोचने लगा कि क्या बोले.
अबे जब वो तेरी कुछ नहीं, तब तुझे क्या दर्द है? जा अपना काम कर..’
रामप्रसाद जरा अखबार देना.’ यह आवाज इंस्पेक्टर की थी.
जी साब,’ कहकर मुंशीजी ने अखबार बढ़ा दिया.
हां बे लौंडे, अब बता भी दे कि तुझे अफीम कौन सप्लाई करता है वरना....’ यह कहते ही उसने जमीन पर बैठे मैले-कुचैले आदमी के ठोकर जमाई. वह आदमी सहमकर रह गया पर बोला कुछ नहीं.
रामप्रसाद!’ लड़की के प्रेमी ने यह सुना तो चौंक पड़ा. यह तो उसे मालूम था कि उसकी प्रेमिका का बाप इसी थाने में है. पर यह नहीं पता था कि वह किस पद पर है. उसके जी में आया कि वह चिल्लाकर कहे, ‘रामप्रसादजी, आपकी लड़की का गुंडों ने अपहरण कर लिया है. वह मेरी क्लास फैलो है. हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं.’
वह तेजी से थाने से निकल आया. आज उसको एक अच्छी कहानी का प्लाट मिल गया था.
प्रस्तुति: विनायक
कदम-कदम पर हादसे’ से

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