Sunday, July 10, 2011

भूख

वह पूरी शक्ति से भाग रहा था. जब वह रुका तो उसने अपने को किसी बड़े नगर में पाया. कई बार रो पड़ने के बावजूद किसी ने भी उसे अपने पवित्र नगर में घुसने नहीं दिया था. अब वह गांव की ओर दौड़ रहा था.
उसे अच्छी तरह से मालूम था कि पीछा करने वाली डायन उसके मां-बाप को भी निगल गई थी. पूरी की पूरी जिंदगी उसने इस डायन की कैद से छुटकारा पाने में बरबाद कर दी थी. किसी तरह वह एक रात को चुपचाप भाग निकला था.
उसने एक झोंपड़ी का द्वार खटखटाया. खस्ता हालत में खड़ा टट्टर उसके जरा-सा ढकेलते ही खुल गया. लेकिन सामने पड़ते ही वह भय से चीख पड़ा. एक बूढ़े की लाश के पास खड़ी वह क्रूरता से मुस्करा रही थी.
ये बुड्ढा भी वर्षों पहले मेरे चंगुल से निकल भागा था. एक हफ्ते तक मैंने इसको खाट से नहीं उठने दिया.’
उसके यह सोचते ही कि वह तीन दिन से भूखा है, उसके पेट में ऐंठन-सी हुई. वह मुड़ भागा. वह मुस्कराती रही.
जैसे ही वह एक मोड़ पर आकर रुका, वह सामने थी. तुरंत ही उसने ढेर-सा खून उगला और उसके कदमों में गिर पड़ा.

प्रस्तुति विनायक
जगदीश कश्यप की फाइल से

Friday, April 29, 2011

ताड़ वृक्ष की छाया


हर काम समय से करने के पाबंद दोनों कान्वेंटी बच्चे अभी जाग रहे थे. मिकी ने वाल-क्लाक में पौने ग्यारह बजते हुए देखे तो कह उठा-‘बेबी, मम्मी...ना॓ट कम...सो फार!’
मिकी लैट मी स्लीप.’
बेबी ये का॓ट रेड हैंडिड क्या है? वे सामने वाली कोठी में मेरा क्लास मेट अनु कह रहा था, हमारे पापा किसी से दस हजार रुपया ले रहे थे, आई मीन टेन थाउजेंड रूपीस.’
अरे पापा का कुछ नहीं होगा. मम्मी इसलिए स्टेनो अंकल के साथ अपने ब्रदर के यहां गई है. अंकल स्पेशल सैक्रेटरी हैं. मम्मी कहती है कि मिनिस्टर उनकी हर बात मानते हैं.’
पर तुमने नहीं सुना, स्टेनो अंकल कह रहे थे, मेमसाहब केस सीरियस है. खुद जाल बिछाकर पकड़वाया है.’
तभी कार के हार्न की आवाज सुनाई दी. दोनों बच्चे फुदककर उठ खडे़ हुए और कारीडोर में आकर नीचे झांकने लगे. मम्मी के पास स्टेनो अंकल खड़े थे. मम्मी जोर-जोर से कह रही थी, ‘तुम्हें उस मिनिस्टर से उलझने की क्या जरूरत थी? यू डांट नो, वो कांट्रेक्टर का आदमी है. एट लास्ट टेंडर तो उसी को मिला. उसके थ्रू काम हो रहा था तो क्या तुम्हें नहीं मिलता कुछ? अगर माई ब्रदर बीच में नहीं पड़ते तो वह मिनिस्टर का बच्चा कब मानने वाला था. तुम्हारा ये एज-पर-ला॓ हम सबको ले डूबेगा.’
मैम साहब!’ स्टेनो ने संकेत किया तो मम्मी-पापा ने ऊपर की ओर देखा. पापा अपमानित ढंग से मुस्करा उठे और बच्चों को टा-टा किया. मम्मी लगभग चीखती हुई बोली‘मिकी बेटी, तुम लोग अभी जाग रहे हो-डेमफूल! गो-टू-बेड!’
दोनों बच्चे चुपचाप बिस्तर की ओर बढ़े. मायूस कदम लिए. उन्होंने पापा के चेहरे पर ऐसी अपमानित मुस्कराहट पहली बार देखी थी. तिस पर उनका बेवजह टा-टा करने का आखिर क्या मतलब था?
प्रस्तुति: विनायक
कदम-कदम पर हादसे’ से

Sunday, January 9, 2011

सीढ़ी से उतरते हुए

 ‘मुझे तुमपर दया आती है! आठ सौ रुपल्ली की खातिर तुम लोगों के दिन-भर पैर पकड़ते हो और उन्हें जूते-चप्पल पहनाते हो. अब तो तुम्हारा लेखन भी छूट गया है. लानत है तुम पर!’
दोस्त की लंबी झाड़ वह काफी देर से सुन रहा था. पर चुप रहा. उसने बची मूंगफली निकालकर दोस्त को थमा दीं और लिफाफे को एक ओर उछाल दिया. अब बाग में ऊंच-ऊंचे पेड़ों को देख वह बेंच पर पसर-सा गया. एकाएक उसमें फुरफरी-सी चढ़ी.
चलो चलते हैं, ठंडी ओस गिरने लगी है.’
दोनों बाग के बाहर चाय की दुकान पर आकर रुक गए. पहले उंगली के इशारे से दो चाय का आर्डर दुकानवाले को दिया. और बोला‘वो तूने एक्जीक्यूटिव पोस्ट के लिए एप्लाई किया था, क्या हुआ?’
उसका तो कल इंटरव्य है. ढंग के कपड़े नहीं, जूते नहीं. दरबान भी घुसने नहीं देगा. उस एयर कंडीशंड शीशे वाले दरवाजे में.’
तू फिक्र मत कर यार, मैं तुझे अपनी दुकान से रेडीमेड पेंट और शर्ट दिलवा दूंगा. जूते भी. पैसे कटते रहेंगे मेरे हिसाब से. तू ढंग से इंटरव्यू देकर आ.’
चाय पीते-पीते शायद मुकेश के दिमाग में कुछ आया. वह धीरे से बोला-‘दोस्त कुछ नहीं होगा. वहां पहले ही उन्होंने अपना आदमी फिट कर लिया होगा. किराया भी बेकार चला जाएगा आने-जाने का. तू मुझे बता रहा था-‘तेरे शोरूम में एक आदमी की जरूरत है. क्या मुझे नहीं खपा सकता अपने यहां....’
राजू यह सुनते ही चौंक गया. उसे लगा मुकेश उसका मजाक उड़ा रहा है. पर उसकी नम हो आई आंखें देख, वह बोला‘हिम्मत मत हार, तुझे इंटरव्यू देना होगा. मैं तुझे....’ और राजू का गला भर आया.
प्रस्तुति: जगदीश कश्यप
कदम-कदम पर हादसे से’

Sunday, January 2, 2011

औकात

जज द्वारा दिए फैसले पर जब दोनों पक्षों के वकीलों ने हस्ताक्षर कर दिए तो जीतने वाले पक्ष के लोग कमल की माफिक खिल उठे.
हारने वाले पक्ष के वकील ने कहा-‘मुझे दुख है रामजीलाल मैं तुम्हारा केस बचा न सका.’ और वह तेजी से अपने बस्ते की ओर चला गया.
रामजीलाल के चेहरे पर विषाद और बरबादी के एवज में वकील के प्रति क्रूर भाव उभर आए थे. इतने महंगे और प्रसिद्ध वकील ने अंतिम दम पर कैसी बोगस बहस की थी. घर खाली कराने के आदेश पर वह कम से कम एक माह की मोहलत तो ले ही सकता था.
यार मुझे रामजीलाल के हार जाने का बड़ा दुख है. अगर तुम्हारा दबाव नहीं होता तो नत्थू उसे कभी भी घर खाली नहीं करवा सकता था.’ यह बात रामजीलाल के वकील ने जीतने वाली पार्टी के वकील से कही.
वो तो ठीक है मिस्टर खुराना, पर इस बात के लिए आपको पूरा पांच हजार कैश भी तो मिला है. आखिर तुम इतने दुखी क्यों हो? न जाने कितने गरीब रामजीलालों को तुम इसी तरह हरवा चुके हो.’
इस पर मिस्टर खुराना ने ताजे खाए पान की ढेर सारी पीक को लापरवाही से एक ओर थूक दिया. जिस कारण अनेक बेकसूर चीटियां उस तंबाकू की पीक में जिंदा रहने की कोशिश करती हुई बिलबिलाने लगीं.
प्रस्तुति: जगदीश कश्यप
कदम-कदम पर हादसे से’

Saturday, January 1, 2011

योग्य प्रत्याशी

यह जानते हुए भी कि टाइपिस्ट जैसी पोस्ट तुरंत भर ली जाती है,, और इंटरव्यू मात्र खाना-पूर्ति होती है, मैं उस महाविद्यालय में साक्षात्कार देने गया, जो एक पिछड़ी तहसील में स्थित था. मुझे मालूम था कि एक पोस्ट के लिए सौ-पचास व्यक्तियों का आ जाना मामूली बात है. पर मैंने भाग्य आजमाने का फेसला इसी कारण किया था कि हिंदी-अंगे्रजी के टाइपिस्ट को वरीयता दी जाएगी. मेरी स्पीड दोनों ही भाषाओं में संतोषजनक थी और मैंने एंपलायमेंट एक्सचेंज की परीक्षा भी पास कर ली थी. पर काॅल कहीं से भी आया था. अगर मेरे पिता क्लर्कों को, औरों की तरह रुपये खिला देते तो मेरा नाम भी वरीयता क्रम पर होता.मेरे कई दोस्त एक ही भाषा की टाइप जानते हुए भी नौकरी पर लग चुके थे. मेरी मां पड़ोसन के आगे रोती थी कि मैं एमए हूं पर भगवान ने कहानी-कविता का गुर देकर मुझे पागल कर दिया है. तिस पर लड़की का चक्कर.

मुझे यह जानकर संतोष हुआ कि दोनों टंकण परिक्षाओं में मेरी गति सभी प्रत्याशियों से अधिक थी. इंटरव्यू बोर्ड मेरे साक्षात्कार से संतुष्ट था. क्या निर्णय लिया जाए इसपर मैंनेजर और प्रंसिपल आदि ने आंखों की भाषा में बातचीत की. मौंन भंग किया प्रंसिपल न ही-‘हमें तुम जैसे केंडिडेेटों की बहुत जरूरत है. लेकिन मैं तुम्हें अंधेरे में नहीं रखना चाहता.’
कैसा अंधेरा सर?’ मैंने सूखे होठों पर अपनी जीभ फिरानी शुरू की.
अभी तुमने देखा, हमने पचीस लोगों को आश्वासन देकर भगा दिया है. दरअसल हमें शिड्यूल्ड कास्ट केंडिडेट की जरूरत है. सरकारी आदेश के अनुसार हम ऐसा करने को मजबूर हैं.’
पर सर, आपने विज्ञापन में साफ लिखा है कि योग्य प्रत्याशी का चयन किया जाएगा.’
इस पर चुप्पी छा गई. लेकिन विद्वान लोग मुझ जैसे बेरोजगार से हार मानने के लिए पैदा नहीं हुए थे. अबकी बार शायद मैंनेजर बोला-‘डोंट वरी, हम इसी पोस्ट के लिए विज्ञापन निकालेंगे, तब तुम्हें जरूर कंसीडर किया जाएगा. हमें तुम जैसे होनहार लोगों की जरूरत है.’
जब एकाउंटेंट के भाई को रख लिया है, तब मेरी क्या जरूरत है?’ मैंने चपरासी द्वारा बताई गई बात को अत्यंत घृणापूर्वक उगल दिया.
मेरी इस बात पर पूरा इंटरव्यू बोर्ड चौंक गया. इससे पहले वे पूछें यह बात मुझे कैसे पता चली, मैं झटके से कमरे का दरवाजा धकेलकर बाहर निकल आया.
प्रस्तुति: जगदीश कश्यप
कदम-कदम पर हादसे से’

Friday, December 31, 2010

कहानी का प्लाट

इससे पहले वह किसी पुलिस चैकी या थाने में नहीं गया था. यद्यपि अपनी कहानियों में उसने पुलिस स्टेशन के खाके खींचे थे. चाहता तो वह उन गुंडों से निपट सकता था पर उसके शरीर ने ऐसा करने की इजाजत नहीं दी थी. दूसरी तरह की घटना या दुर्घटना हुई होती हो वह दोस्त या परिचित के साथ रिपोर्ट लिखवाने आता, लेकिन यह मामला विशुद्ध उसका ही था.
अभी रात नहीं हुई थी. पर सर्दियों में शाम भी रात का एक अंग लगती है. मुंशी जी अपना रोजनामचा भरने में व्यस्त थे. वह कुछ देर सोचता रहा. किसी ने भी उसका नोटिस नहीं लिया. जबकि इंस्पेक्टर तीन आदमी और कांस्टेबिल किसी केस में उलझे हुए थे. इंस्पेक्टर नीचे बैठे हुए आदमी को बीच में गाली और कभी-कभी उसकी पीठ भी थपथपा देता था.
कहो जनाब, क्या बात है?’ मुंशीजी ने नाक का चश्मा ऊपर करते हुए अपनी तिकोनी टोपी को संभाला.
जी, मैं रिपोर्ट लिखवाने आया हूं.’
किसकी रिपोर्ट?’
कुछ गुंडे एक लड़की को जबरदस्ती उठा ले गए हैं.’
कौन लड़की, तुम्हारी क्या लगती है?’
इसपर वह भौंचक्का हो, मुंशीजी की तरफ देखने लगा.
अबे, वो क्या तेरी बहन है?’
नहीं...वो...’वह कुछ सोचने लगा कि क्या बोले.
अबे जब वो तेरी कुछ नहीं, तब तुझे क्या दर्द है? जा अपना काम कर..’
रामप्रसाद जरा अखबार देना.’ यह आवाज इंस्पेक्टर की थी.
जी साब,’ कहकर मुंशीजी ने अखबार बढ़ा दिया.
हां बे लौंडे, अब बता भी दे कि तुझे अफीम कौन सप्लाई करता है वरना....’ यह कहते ही उसने जमीन पर बैठे मैले-कुचैले आदमी के ठोकर जमाई. वह आदमी सहमकर रह गया पर बोला कुछ नहीं.
रामप्रसाद!’ लड़की के प्रेमी ने यह सुना तो चौंक पड़ा. यह तो उसे मालूम था कि उसकी प्रेमिका का बाप इसी थाने में है. पर यह नहीं पता था कि वह किस पद पर है. उसके जी में आया कि वह चिल्लाकर कहे, ‘रामप्रसादजी, आपकी लड़की का गुंडों ने अपहरण कर लिया है. वह मेरी क्लास फैलो है. हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं.’
वह तेजी से थाने से निकल आया. आज उसको एक अच्छी कहानी का प्लाट मिल गया था.
प्रस्तुति: विनायक
कदम-कदम पर हादसे’ से

Monday, December 27, 2010

लौटते हुए

उसने पसीने से भीगा हुआ रूमाल फिर जेब से निकाला और गर्दन के पिछले भाग को रगड़ते हुए मैनेजर को एक पाश गाली बकी. उसे याद है कि बैंच पर बैठा हुआ लड़का कह रहा था‘यार, इंटरव्यू तो खाना-पूरी करना है. आदमी तो पहले ही रख लिया गया है.’
उसने घृणावश उस बिल्डिंग की ओर थूक दिया जिसकी दसवीं मंजिल पर इंटरव्यू हुआ था. अब वह भभकती सड़क पर आ गया था. सूरज जैसे उसके सिर पर चिपक गया हो. तप गया उसका माथा. ऊपर से सड़ी दोपहरी में बस का इंतजार.
उफ!’ उसके मुंह से निकला, ‘पता नहीं कौन-सी बस में नंबर आएगा!’ और वह एक फर्लांग लंबी लाइन में पीछे जाकर खड़ा हो गया है.’
जब वह स्टेशन पर आया तो भूख जवान हो चुकी थी. शो-केस में ग्लूकोस बिस्कुट देखकर उसके मुंह में पानी आ गया. उसने चाय पीने का निश्चय किया. स्टाल पर खड़ा-खड़ा वह सोचने लगा कि अगर एक चाय-बिस्कुट के बदले डबल रोटी और एक सिगरेट खरीदेगा तो घर न जा सकेगा. क्योंकि उसकी जेब में घर तक का ही किराया बचा था.
घर जाएगा तो मां पूछेगी, क्या हुआ?...तब!
हर बार की तरह उसने मां को यह जवाब देना उचित न समझा...
मां, उन्होंने कहा है कि हम तुम्हारे घर चिट्ठी डाल देंगे. तब मां बुझ जाएगी. फिर रोजाना की वही तकरार. बीमार बाप की खांसी और बड़े भाई साहब के ताने‘और कराओ बीए. मैं तो पहले ही कहता था कि-किसी लाइन में डाल दो. पर मेरी सुनता ही कौन है.’
तब उसकी पत्नी उसका हाथ पकड़कर दूसरे कमरे में ले जाती हुई कहेगी, ‘चलो जी, क्यों खामाखं सिर खपाते हो.’
अचानक उसका ध्यान भंग हुआ, ‘बाबू चाय पीओगे?’
हां भाई, एक कड़क चाय और ब्रेड-पीस में देना.’
गर्म चाय और ब्रेड पीस से उसे कुछ राहत मिली. उसने पांच सिगरेट और खरीदीं. गाड़ी आने में अभी आधा घंटा था. उसने सिगरेट आराम से सुलगाकर थकान-भरा धुंए का बादल उड़ाया और बैंच पर पसर गया.
उसकी योजना थी कि वह बिना टिकट घर जाएगा. जाहिर था कि पकड़ा जाएगा और कैद हो जाएगी. चलो कुछ दिन तो घर के जहरीले माहौल से निजात मिलेगी.
प्रस्तुति: विनायक
कदम-कदम पर हादसे’ से